भारतीय समाज का विश्लेषण करना वस्तुतः एक प्राचीन सभ्यता का अध्ययन करता है। हजारों वर्षों की प्रक्रियाओं को देखकर आज के भारत की तस्वीर को रखनी है। समाज और कुछ न होकर अन्त क्रियाओं की एक व्यवस्था हैं। भारतीय समाज की अपनी एक पहचान रही है। अपनी इस विशिष्ट व्यवस्था की अन्त क्रिया का परिणाम है। विभिन्न युगों में, ऐतिहासिक कालों में यहाँ शक, हूण, और मुसलमान आये, वे अपनी पृथक व्यवस्था को लेकर आये । उनकी व्यवस्था के साथ भारत की व्यवस्था की अन्त क्रिया हुई। उदाहरण के लिए भारत में मुगल आये। उनकी सभ्यता और संस्कृति ने भारतीय समाज को प्रभावित किया। हमने उनसे बहुत कुछ सीखा और इन्होंने भी हमसे बहुत कुछ लिया । उनकी सामाजिक व्यवस्था भी बदली और हमारी फिर उपनिवेशावाद आया अंग्रेज आये। अब फिर दो व्यवस्था का संघर्ष प्रारम्भ हुआ फिर बदलाव हुआ, युग आगे बढ़ा, हम स्वतन्त्र हो गये और संविधान ने एक नये राष्ट्र को जन्म दिया। इतिहास के इस लम्बे दौर ने यहाँ की सामाजिक तथा सांस्कृतिक गतिविधियों को एक नई पहचान दी। परिवर्तन की यह प्रक्रिया रूक गयी हो, ऐसा नहीं है। यह बराबर चलती रहेगी।