Pracina Bharata kā itihasa
- Jaipur, Paradise publication 2018 p.
- 290 p.
मानघ के उदय से लेकर दसवीं सदी तक के भारत का इतिहास प्राचीन भारत का इतिहास कहलाता है। आदि मानव का जीवन अत्यधिक अस्त-व्यस्त था क्योंकि जब सर्वप्रथम मानव ने इस मानवरूपी संसार में जन्म लियाथा उस समय का परिवेश काफी कष्टमय था। संपूर्ण पृथ्वी पर बर्फ का आवरण छाया हुआ था किंतु इस आवरण में कुछ बदलाव आया और मानव की आबादी धीरे-धीरे यसने लगी। हमारा कहने का तात्पर्य यह है किपूरी पृथ्वी पर बर्फ ही बर्फ परिलक्षित होता था और जैसे-जैसे यह बर्फ पिघलकर कम होती गयी वैसे-वैसे मानव आबादी उस क्षेत्र में निवास करने लगी।
1922 ई. के पूर्व यही माना जाता रहा है कि आर्य सभ्यता ही प्राचीन सभ्यता थी। मगर 1921 में हड़प्पा कीखुवाई वा बू दयाराम साहनी तथा 1922-23 ई. में डॉ. आर. जी. बनर्जी की देख रेख में मोहनदो जड़ों में खनन कार्य प्रारंभ हुआ तो एक आर्य पूर्व सभ्यता प्रकाश में आयी। चूंकि इस सभ्यता के आरंभिक अवशेष सिंधुनदी घाटी सभ्यता का नाम दिया गया परंतु जब बाद में देश के अन्य क्षेत्रों जैसे लोथल (गुजरात) कालीबंगा (राजस्थान) आदि स्थानों से इस सभ्यता का नाम दिया। चूंकि आज तक सिंधु घाटी सभ्यता का कालक्रम क्या है इस बारे में विद्वानों के बीच एक मतभेद बना हुआ है क्योंकि इस सभ्यता की भाषा आज तक पढ़ी नही जा सकी है। इसी कारण इस सभ्यता की निर्धारित तिथि अभी तक अज्ञात है।