Har Mangal Morrie ke sang
- Bhopal Manjul publication 2007.
- 232 p.
‘यह पुस्तक मेरे दिल को छू गई. यह बेहद प्रभावी सच्ची कहानी है, जो आपके दिलोदिमाग़ पर अपनी अमिट छाप छोड़ जाती है।’ -एमी टेन जब आप युवा थे तब शायद आपके जीवन में कोई ऐसा बुद्धिमान व्यक्ति आया होगा, जिसने दुनिया को समझने में आपकी मदद की होगी और ज़िंदगी की मुश्किल राहों पर आपका सही मार्गदर्शन किया होगा। शायद कोई बुज़ुर्ग, शिक्षक या फिर कोई साथी। लेखक मिच एल्बम के जीवन में भी यही हुआ था, जब कॉलेज में पढ़ते समय उनके प्रो़फेसर मॉरी श्वार्ट्ज़ ने उन्हें जीवन के गुर सिखाए थे। उस बात को बीस साल बीत चुके थे और मिच एल्बम उनका पता-ठिकाना खो चुके थे। शायद मिच की तरह ही आप भी बीते दिनों के उस मार्गदर्शक का पता-ठिकाना खो चुके होंगे। क्या आप दोबारा उस व्यक्ति से नही मिलना चाहेंगे, जो आपको उन्हीं दिनों की तरह आपके यक्षप्रश्नों के सही जवाब ढूँढने में मदद करे? मिच एल्बम को यह दूसरा मौक़ा मिला था कि वे अपने बूढ़े प्रो़फेसर के जीवन के आख़िरी दिनों में उन्हें खोज निकालें। उनके बीच का यह फिर से जुड़ा रिश्ता एक अंतिम ‘क्लास’ में बदल गया : सबक़ जिंदगी का। हर मंगल मॉरी के संग दोनों के साथ मिलकर गुज़ारे गए उन्हीं यादगार पलों का एक जीवंत, मर्मस्पर्शी और प्रेरणात्मक दस्तावे़ज है।