Narlikar, Jayant Vishnu

Chaar nagaron ki meri duniya - Delhi Rajkamal prakeshan 2019. - 495 p.

यह मूल रूप से कोल्हापुर में रहनेवाले और एक छोटे से परिवार में जन्मे एक ऐसे युवक की दास्तान है जो पढऩे में तो मेधावी था ही, उससे भी ज्यादा आत्मबल से सम्पन्न था। यह युवक हैं: जयंत नार्लीकर। उनके पिता तात्यासाहब नार्लीकर भी बहुत मेधावी व्यक्ति थे। जयंत की स्कूली शिक्षा से लेकर कॉलेज तक की पढ़ाई बनारस में ही हुई। आगे की पढ़ाई का उनका इरादा इंग्लैंड के ऑक्सब्रिज (ऑक्सफोर्ड+कैम्ब्रिज) विश्वविद्यालय में करने का था। उनका अगला उद्देश्य ‘ट्रायपास’ परीक्षा उत्तीर्ण कर पीएच.डी. के लिए अपना अध्ययन जारी रखना था, पर उन्हें एडमिशन मिला लंदन के फिट्जविलियम हाउस में। तब से लेकर अगले 15 वर्ष तक वे कैम्ब्रिज में ही रहे। यानी वहीं पढ़ाई की और बाद में नौकरी भी वहीं की। इसी दौरान उनके वहाँ, अमरीका और भारत में कई उल्लेखनीय व्याक्चयान हुए, जिसके लिए उन्हें पुरस्कृत भी किया गया। भारत आने पर अपने पुराने बनारस शहर के अलावा मुम्बई-मद्रास-कोलकाता एवं अन्य जगहों पर उनका कई बार जाना हुआ और भारत में ही उनकी शादी हुई। उनके बारे में आप इस किताब में उन्हीं के शब्दों में जानेंगे।.

9789388753623


India--Maharashtra
Authors, Marathi

H 523.01092 NAR