Parijat, Shivshankar Singh

Rail ki patriyon par daudati kahaniyan - New Delhi Anamika 2021 - 167 p.

भारत में रेलवे के निर्माण से यहां के जनमानस के सामाजिक, सांस्कृतिक व आर्थिक जीवन पर बड़ा ही परिवर्तनकारी एवं क्रांतिकारी प्रभाव पड़ा है। किसी भी सुव्यवस्थित राष्ट्रीय जीवन के लिए परिवहन उसके अस्तित्व का सार तथा उसकी प्रारंभिक शर्त है जिसका सही अर्थों में व्याख्या की जाए तो अपने देश में यह शब्द रेल का पर्यायवाची बन गया है।
वस्तुतः आधुनिक भारत के निर्माण में रेल का अप्रतिम योगदान है जिसके आने से न केवल परिवहन व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन आया, वरन इसने हमारी जीवन-शैली एवं जीवन की गति को भी अत्यधिक 'फास्ट' कर दिया। रेल के आगमन के पूर्व हमारे पूर्वज एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए पांव-पैदल, बैलगाड़ी, टमटम-तांगा, पालकी, रथ आदि के अलावा घोड़ा, हाथी, ऊंट सरीखे जानवरों की सवारी अपनी हैसियत के अनुसार किया करते थे। उस समय एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाना बड़ा ही कष्टप्रद, दुष्कर, जोखिमभरा, बोझिल व श्रमसाध्य कार्य था जिसमें अत्यधिक समय लगता था।

आधुनिक भारत के निर्माण और पुनर्निर्माण में रेल के योगदान पर एक शोध निबंध में ठीक ही कहा गया है कि 'बिना रेल के आधुनिक भारत नहीं' तथा 'रेल नहीं तो आधुनिक बिहार नहीं।"
सामान्यतः रेल का जिक्र करते ही हमारे समक्ष इंजन, बोगी, रेलवे ट्रैक, प्लेटफार्म, यार्ड, क्रोसिंग, ढाला सरीखे शब्द अनायास उपस्थित हो जाते हैं जिनके माध्यम से रेल के रोजमर्रे का सफर तय होता है। सुनने में तो ये शब्द किसी मशीनी, संवेदनहीन और स्थूल संरचना के संबोधन मात्र लगते हैं। पर यदि थोड़ी गहराई से गौर किया जाए तो इन शब्दों से बननेवाले अक्सों में जिंदगी की धड़कन, संवेदना, गति और सच्चाई के विविध रूप देखने को मिलते हैं।

9788195070022


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