Agle waqton ke hain log
- 1st ed.
- Noida Setu Prakashan 2020
- 335 p.
संस्मरण यानी स्मरण यानी स्मृति। ये स्मृतियाँ केवल अपने प्रिय व्यक्तित्वों को याद करना भर नहीं है। 'अगले वक़्तों के हैं ये लोग' से गुज़रना हमें साहित्य, बोध, समय, कल्पना, स्मृति आदि के विशिष्ट अनुभव से आप्लावित करता है। कुछ-कुछ वैसा ही जब आप नवजात बच्चे को गोद में लेते हैं तो उसकी धड़कन आपकी हथेलियों पर दस्तक देती है।