Chatursen, Acharya

Goli - New Delhi Punit books 2021 - 220 p.

मैं गोली हूं। कलमुहे विधाता ने मुझे जो रूप दिया है, राजा दसका दीवाना था, प्रेमी-पतंगा था। मैं रेगमहल की रोशनी थी। दिन में, रात में वह मुझे निहारता। कभी चम्पा कहता, कभी चमेली...
सुप्रसिद्ध उपन्यासकार आचार्य चतुरसेन ने इस अत्यंत रोचक उपन्यास में राजस्थान के राजमहलों में राजों-महाराजों और उनकी दासियों के बीच चलने वाले वासना-व्यापार के ऐसे मादक चित्र प्रस्तुत किए हैं कि उन्हें पढ़कर आप हैरत में पड़ जाएंगे। यह एक ऐसा उपन्यास है, जो आपकी चेतना को झकझोरकर रख देगा।

9788195006120


Novel

H CHA A