Mishra, Ramashraya

Bhasha aur bhashavigyan - Haridwar Unmesh 1986 - 232 p.

'मित्रबन्धु' ने रुचि, ज्ञान और व्यवसाय - दर्शन की भाषा इच्छा, ज्ञान और क्रिया के संयोग ने भाषाविज्ञान सम्बन्धी अन्य उपलब्ध पाठ्य-पुस्तकों की अपेक्षा प्रस्तुत पुस्तक को कितना सरल, सामग्रीबहुल और उपयोगी बनाया है, इसे प्रस्तुत पुस्तक का पाठक आसानी से अनुभव करेगा ।
भाषा का वैज्ञानिक अध्ययन ज्ञान-विज्ञान की बहुत सारी शाखाओं के लिए उपयोगी सिद्ध हुआ है । साहित्य के अध्ययन के लिए यह सर्वाधिक उपयोगी है, अतः अनिवार्य है क्योंकि साहित्य 'भाषा' का होता है और उसका अध्ययन प्रथमतः और अन्ततः भाषा का ही अध्ययन होता है। हिन्दी साहित्य के स्नातकोत्तर अध्ययन और अध्यापन का विषय बनाने वालों में डॉ० श्यामसुन्दर दास और डॉ० धीरेन्द्र वर्मा का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इन्हीं की सत्प्रेरणा से हिन्दी की स्नातकोत्तर कक्षाओं में भाषाविज्ञान के अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था की गयी थी जो धागे चलकर देश के प्रायः सभी विश्वविद्यालयों द्वारा थोडे फेर बदल के साथ स्वीकृत हुई है।

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