'अन्तर- राष्ट्रीय सम्बन्ध' का पूर्णतया संशोधित एवं परिवर्धित नवीन संस्करण पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत करते हुए लेखक को अत्यधिक हर्ष है। गत वर्षों से अन्तर राष्ट्रीय घटनाचक्र बहुत अधिक गति से आगे बढ़ा है। महाशक्तियों के द्वारा चलाई जाने वाली शस्त्रास्त्र की दौड़ अब बहुत तेजी के साथ चल रही है। निःशस्त्रीकरण की बात तो होती है, परन्तु तैयारी बुद्ध के लिए की जा रही है। हमारे अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी आधुनिक शस्त्रों का जखीरा बन रहा है। स्पष्टतः इस नये सन्दर्भ में अन्तर - राष्ट्रीय सम्बन्धों की पुनविवेचना की आवश्यकता थी । प्रस्तुत पुस्तक में इस कार्य को सम्पन्न करने का प्रयास किया गया है।
अन्तर- राष्ट्रीय घटनाओं के समीचीन विश्लेषण के लिए यह आवश्यक समझा गया कि पुस्तक के साथ कुछ संद्धान्तिक प्रश्नों की भी विवेचना की जाय। वस्तुतः अनेक विश्वविद्यालयों में अन्तर राष्ट्रीय सम्बन्धों के अध्ययन के साथ उनके संद्धान्तिक पहलुओं को भी पाठ्यक्रम में स्थान दिया गया है, जो विषय को उपयोगी बनाने के लिए उचित भी है। फलतः पुस्तक के आरम्भ में ही इन सैद्धान्तिक पहलुओं का विवेचन किया गया है।