Anterrastriya sambhandh
- Jalandhar New academic publishing company 1987
- 367 p.
हमारे विश्व विद्यालयों में एक विषय के रूप में अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों की निरन्तर बढ़ती हुई लोकप्रियता ने मुझे यह पुस्तक लिखने के लिए उत्साहित किया है। इस पुस्तक में मैंने इस विषय के सिद्धांतों एवं व्यवहार का स्पष्ट तथा सरल भाषा में विश्लेषण किया है। विभिन्न विद्वानों के विचारों की व्याख्या करने के साथ-साथ मान्यता प्राप्त सिद्धांतों एवं धारणाओं का वर्णन किया गया है। पुस्तक के दूसरे भाग में 1945 के बाद के वर्षों के अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों का विश्लेषण किया गया है। विश्व के सम्मुख विद्यमान विषयों, समस्याओं तथा मुख्य धाराओं का अध्ययन किया गया है।
विषय-वस्तु को क्रमबद्ध रूप में शीर्षकों तथा उपशीपकों में बांट कर प्रस्तुत किया गया है। विद्यार्थियों की आवश्यकताओं तथा कठिनाईयों को सम्मुख रखकर विषय सामग्री को स्पष्ट, क्रमबद्ध तथा प्रश्न-उत्तर रूप में लिखा गया है। आशा है यह प्रयास उनके लिये अत्यन्त लाभकारी रहेगा। इस पुस्तक की तैयारी में बहुत से भारतीय तथा विदेशी विद्वानों की पुस्तकों की महायता ली गई है।