Funda management ka
- New Delhi Samayik Prakashan 2008
- 144p.
प्रेमपाल की गहरी सामाजिक संपृक्ति ने व्यंग्य को सामाजिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक चेतना का माध्यम बनाने की पहल की है। एक सच्चा व्यंग्यकार महज हास्य तक ही खुद को सीमित नहीं रखता। इससे आगे बढ़कर वह अंतर्विरोधों और ढकोसलों पर धारदार प्रहार करता है