Bhartiya arthvyavastha ki pramukh samsayen/ edited by Rudradutt and Rajdutt (Record no. 38730)

MARC details
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005 - DATE AND TIME OF LATEST TRANSACTION
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082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number H 338.9 BHA c.4
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME
Personal name Rajdatt, (ed.)
245 #0 - TITLE STATEMENT
Title Bhartiya arthvyavastha ki pramukh samsayen/ edited by Rudradutt and Rajdutt
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC.
Place of publication, distribution, etc. Delhi
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC.
Name of publisher, distributor, etc. Pragati Publications
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC.
Date of publication, distribution, etc. 1990
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Extent 208p.
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc. इस पुस्तक में भारत के प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों के लेख हिन्दी माध्यम से अध्ययन करने वाले पाठकों के लिए प्रस्तुत किए हैं। मुख्य प्रश्न जो इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने हैं, उनके बारे में अद्यतन चिन्तन इन लेखों का विशेष लक्षण है। प्रोफेसर डी. टी. लकडावाला का लेख व्यापक रूप में हमारे 40 वर्षों के आयोजन की उपलब्धियों एवं विफलताओं की समीक्षा करता है। प्रोफेसर वी.के. आर.वी. राव के लेख में आर्थिक विकास के अंतर्गत कृषि एवं उद्योग का एक गहरा चिन्तन ।<br/><br/>भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बारे में चल रही बहस पर प्रधान मंत्री, श्री राजीव गांधी, श्री वसन्त साठे और प्रोफेसर रुद्रदत्त के विचार विभिन्न पहलुओं से समस्या को आंकते हैं ।<br/><br/>दीर्घकालीन राजकोषीय नीति के दस्तावेज के साथ, इस नीति के मिथक और यथार्थ को जानने के लिए प्रोफेसर रुद्रदत्त का आलोचनात्मक लेख दिया गया है।<br/><br/>प्रोफेसर एम. एल. दंतवाला "कृषि एवं ग्रामीण निर्धनता" का एक अत्यन्त उपयोगी विश्लेषण पेश करते हैं और इसके साथ कृषि के नये विकास क्षेत्रों में उभरती हुई समस्याओं और दूसरी हरी कांति की संभावनाओं का उल्लेख किया गया है ।<br/><br/>भारत के आर्थिक विकास में जनसंख्या की समस्या पर प्रोफेसर वी. एम्. डाडेकर और प्रोफेसर रुद्रदत्त के लेख इस समस्या का बोध कराते हैं।<br/><br/>हमारी आज की ज्वलंत समस्या "विदेशी ऋण और ऋण जाल" पर डा. स्वामी नाथन अववर और प्रोफेसर रुद्रदत्त ने अपने विश्लेषण से अर्थव्यवस्था की बिगड़ती हुई परिस्थिति का स्पष्ट संकेत दिया है। सुप्रसिद्ध मेसे अवार्ड पाने वाले हासी जैन ने विकेन्द्रीकृत आयोजन मे जिला स्तरीय आयोजन के गुण-दोष पर प्रकाश डाला है ।
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name entry element Indian economy
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Koha item type Books
Source of classification or shelving scheme Dewey Decimal Classification
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