Pakistan Mein Urdu Kalam (Record no. 359607)

MARC details
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003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER
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005 - DATE AND TIME OF LATEST TRANSACTION
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020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
ISBN 9789369446643
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number H 891.431 GYA
100 ## - MAIN ENTRY--AUTHOR NAME
Personal name Gyanranjan
245 ## - TITLE STATEMENT
Title Pakistan Mein Urdu Kalam
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT)
Place of publication New Delhi
Name of publisher Vani Prakashan
Year of publication 2025
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Number of Pages 236 p.
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc पाकिस्तान में उर्दू कलम पाकिस्तानी उर्दू साहित्य का एक महत्त्वपूर्ण संकलन है, जो विविध शैलियों और विषयों को समेटे हुए है। इसमें उर्दू ग़ज़ल, नज़्म, कहानी, लेख, सफ़रनामा, दस्तावेज़ी लेखन को एक मंच पर प्रस्तुत किया गया है। यह संकलन न केवल पाकिस्तान के साहित्यिक परिदृश्य को दर्शाता है, बल्कि अपने समय-समाज के प्रति लेखकों की गहरी संवेदनशीलता, राजनीति-संस्कृति के प्रति उनकी जागरूकता, विभाजन-विस्थापन की त्रासदी, ज़मीनी संघर्ष, व्यक्तिगत अनुभूतियों, ऐतिहासिक सन्दर्भों आदि को भी सजीव करता है। इस पुस्तक में फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ का आरम्भिक लेख 'ऐ अहले क़लम तुम किसके साथ हो' जहाँ पाकिस्तान में संजीदा लिखने वालों को बिना खौफ़ के साफ़-सच्ची बातें करने और इज़हारे-राय की आज़ादी पर अमल करने का आह्वान करता है, वहीं मुहम्मद सलीमुर्रहमान की 'ज़ालिम बादशाहों के लिए एक नज्म' रचना प्रतिरोध और क्रान्ति का स्वर उभारती है। इसी तरह फ़ैज़, नासिर काज़मी, परवीन शाकिर, अहमद फ़राज़, हबीब जालिब, शकेव जलाली, क़तील शिफ़ाई जैसे शायरों की ग़ज़लें और नज़्में प्रतिरोध, सामाजिक-राजनीतिक चेतना, प्रेम और दर्द के विविध आयाम प्रस्तुत करती हैं। इनके अलावा पुस्तक में इब्ने इंशा, किश्वर नाहीद, फ़हमीदा रियाज़, सरमद सहबाई, मुनीर नियाज़ी, ज़हूर नज़र, जमीलउद्दीन आली, असगर नदीम सैयद, अतहर नफ़ीस, अब्बास अतहर जैसे शायरों की उपस्थिति इसे और भी व्यापक और प्रभावशाली बनाती है। कहानी-विधा में यह पुस्तक अपने एक विशेष रूप में समृद्ध है। यूनुस जावेद की 'एक बस्ती की कहानी', नईम आरवी की 'गोधरा कैम्प' और अफ़सर आज़र की 'आने वाले लोग' जैसी कहानियाँ युद्ध, राजनीति, साम्प्रदायिकता, विस्थापन, ग्रामीण संघर्ष, असमानता, जनता की दुर्दशा, मानवता और शासन की नीतियों को गहराई से व्यक्त करती हैं। वहीं अनवर सज्जाद की 'गाय' और सादिक हुसैन की 'झोली' जैसी कहानियाँ सामाजिक यथार्थ, व्यक्ति की मनःस्थिति, पशु के प्रति संवेदनशीलता आदि को गहनता से मूर्त करती हैं। विचार-विमर्श के अन्तर्गत डॉ. वज़ीर आगा का लेख 'पाकिस्तान में उर्दू अदब के पच्चीस साल' उर्दू साहित्य के विकास को ऐतिहासिक सन्दर्भों में रखकर देखता है। डॉ. मोहम्मद हसन का 'तहज़ीबी शिनाख्त का मसला' सांस्कृतिक पहचान के प्रश्नों पर विचार करता है, तो वहीं दस्तावेज़ के तहत इसहाक़ मोहम्मद के परचे का अंश 'एक कम्युनिस्ट का क़त्ल' पाकिस्तान की ज़ालिम सरकार द्वारा एक साम्यवादी कार्यकर्ता और अदीब हसन नासीर के क़त्ल की ज़िन्दा हक़ीक़त पेश करता है। सफरनामा, शब्द-चित्र और पत्र-लेखन इस संकलन को एक खास कोण से उल्लेखनीय बनाते हैं। सफ़रनामा के रूप में डॉ. मोहम्मद हसन की रचना 'पाकिस्तान की झाँकी' और अनवर सज्जाद व अज़ीजुल हक़ के पत्र जहाँ साहित्य के साथ-साथ समाज और उसके लोक के प्रति नज़रिये की वास्तविकता को दर्शाते हैं, वहीं इब्राहीम जलीस द्वारा लिखा गया 'हसन नासिर का खाका' मेहनतकशों के पक्ष में ताउम्र लड़ने वाले एक विचारशील व्यक्तित्व की झलक प्रस्तुत करता है। निस्सन्देह, पाकिस्तान में उर्दू क़लम साहित्यिक सौन्दर्य और प्रतिरोध का एक विरल दस्तावेज़ है। यह उर्दू-हिन्दी साहित्य के तमाम पाठकों के लिए एक अद्भुत अनुभव प्रस्तुत करता है जो उन्हें सोचने, समझने और अपने पड़ोसी देश के साहित्य को गहरे जानने की एक नयी दिशा और दृष्टि भी प्रदान करता है।
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term Ghazal
-- Nazm
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942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Koha item type Books
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