Kumaon ki lokgathaon mein rangmanchiyata (Record no. 346700)

MARC details
000 -LEADER
fixed length control field 04261nam a22001697a 4500
003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER
control field 0
005 - DATE AND TIME OF LATEST TRANSACTION
control field 20220609150808.0
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
International Standard Book Number 9789385428210
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number UK 793.31 JOS
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME
Personal name Joshi, Kulin Kumar
245 ## - TITLE STATEMENT
Title Kumaon ki lokgathaon mein rangmanchiyata
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC.
Place of publication, distribution, etc. Gaziabad
Name of publisher, distributor, etc. Udbhawana
Date of publication, distribution, etc. 2016
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Extent 251 p.
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc. मौखिक परंपरा में कंठानुकंठ विकसित होने वाली कुमाऊँ की लोकगाथाओं का आज भी अस्तित्व में बने रहना, जन सामान्य में इन लोकगाथाओं के सतत •प्रस्तुतीकरण का ही परिणाम माना जाना चाहिये। लोकगाथाओं में सतत प्रवाहित 'काल' के कारण इसे मंच पर प्रस्तुत करना किसी भी निर्देशक के लिये कठिन होता है। नयी तकनीकों, ज्ञान और संसाधनों को प्रस्तुति में जोड़ने से मौलिक स्वरुप नष्ट हो जाता है और मौलिक स्वरुप को बनाये रखने में आकर्षण को बनाये रखना कठिन होता है। लोकगाथाओं में प्रयुक्त संवाद और चारित्रिक विरोधाभास नाट्य-संसार सृजित करते हैं, घटनाओं का क्रम द्वन्द की उपस्थिति में नया आकार ग्रहण करता है और नाटकीयता की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण विशेषता कौतुहल का बने रहना है। मौखिक स्वरुप में इन लोकगाथाओं में न केवल एक नाटकीय कथानक बल्कि समग्र मानवीय इतिहास, जीवन-शैली उनकी परंपरायें, आचार-विचार, सामाजिक स्थिति और जीवन दर्शन, मान्यतायें, टकराव व संघर्ष अर्थात सब कुछ एक साथ ही समाहित रहता है। ज्यादातर लोकगाथायें चूंकि 'जागर' के रूप में ही प्रस्तुत होती हैं। लिहाजा जगरिया एक बेहतरीन अभिनेता दिखलायी देता है। किसी भी प्रकार के भावनाओं के प्रवाह से अलग तटस्थ दृष्टा की तरह घटने वाली घटनाओं और परिस्थितियों पर नजर रखता है और उपस्थित दर्शकों / श्रोताओं को प्रस्तुति की आवश्यकता के अनुरूप मोड़ लेता है। कुमाऊँ की लोकगाथायें मंचीय प्रस्तुतिकरण के सर्वथा उपयुक्त हैं और इन्हें नाट्य प्रस्तुति के रूप में भी मंचित और प्रदर्शित किया जा सकता है क्योंकि कथानक, कथ्य, चरित्रों की विविधता, द्वन्द, विभिन्न गाथाओं में वर्णित काल, वेशभूषा, अभिनय आदि रंगमंचीयता के अनेकानेक तत्व इन लोकगाथाओं में सहज रूप में विद्यमान है।
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name entry element Kumaon folk
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Koha item type Books
Holdings
Withdrawn status Lost status Damaged status Not for loan Home library Current library Date acquired Cost, normal purchase price Total checkouts Full call number Barcode Date last seen Price effective from Koha item type
  Not Missing Not Damaged   Gandhi Smriti Library Gandhi Smriti Library 2022-06-09 250.00   UK 793.31 JOS 168312 2022-06-09 2022-06-09 Books

Powered by Koha